
ये बंदा थोडा दूजे किस्म का है, गोली का जवाब गोली से देता है!
हेमेन्द्र सिंह हेमू
अगर कोई अधिकारी अपने कार्य को सही प्रकार से करें तो व्यवस्था में परिवर्तन स्वयं दिखाई देने लगता है। ऐसा ही कुछ सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में इन दिनों दिखाई देना शुरू हो गया है। जब से जिला पुलिस प्रशासन की कमान पुलिस अधीक्षक संतोष चालके . ने सम्भाली है तब से जिला पुलिस प्रशासन में बदलाव नजर आने लगा है।
श्रीगंगानगर: कहते है जहा चाह हो वहा राह निकल ही जाती है, यह कहावत फिट बैठती है पुलिस कप्तान संतोष चालके पर, जिन्होंने जिला मुख्यालय संभालते ही दागी पुलिसकर्मियों को सुधर जाने की चेतावनी दे दी, इसके बाद जो सुधरा, वो बच गया, जो नहीं सुधरा उसकी भावविनी विदाई करते देर नहीं लगाईं! इसी कारण कल तक जहा थानों में परिवादी की सुनवाई नहीं होती थी, वही आज थानों में पुलिसकर्मी, परिवादी के साथ अदब से पेश आते है! अगर कही कोई सुनवाई नहीं कर रहा है तो कप्तान साहब तुरंत एक्शन लेने में हिचकिचाते नहीं है! यही कारण है कि पुलिस महकमे में बदलाव साफ़ साफ झलकता है। पूर्व में यही व्यवस्था रुपिंदर सिंघ के लचर कार्यकाल में हाशिये पर चली गयी थी व जिला मुख्यालय पर दलालों, दागियो का जमावड़ा लग गया था! गौरतलब है कि कप्तान संतोष चालके ने जिले की कमान उस वक़्त सम्भाली थी जब जिला पुलिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे थे, ऐसे में उनके सामने चुनौती सिर्फ पुलिस की छवि सुधारना ही नहीं बल्कि आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास कायम करना भी था! जो कि पिछले साल भर में उन्होंने कायम करने में सफलता, बखूबी हासिल की है! संतोष चालके की तेजतर्रार कार्यप्रणाली का नमूना उनके पोस्टिंग लेते ही देखने को मिला था जब उन्होंने तत्परता से सीमा पर हेरोइन की तस्करी करने वालो को पकड़ लिया था!
संतोष चालके ने अन्य पुलिस कप्तानो की तरह शुरूआती सख्ती दिखाने के बाद शांत हो जाने की आदत के उलट, नियमित अभियान चला कर, यह साफ़ कर दिया कि वह महज दिखावे या वाहवाही के लिए कुछ नहीं करते! इसकी मिसाल कप्तान द्वारा चलाये गए ऑपरेशन रोमिओ से साफ़ झलकती है! इस अभियान ने जहा अभिभावकों में विश्वास पैदा किया वही मनचलों के भीतर भय पैदा कर दिया! यह कप्तान की दूरदर्शिता का ही नतीजा था कि शहर का एक चक्कर लगा लेने के बाद उन्हें शहर की मुख्य समस्या यातायात की है समझ आ गया, इस समस्या के समाधान के लिए संतोष चालके . ने बेतरतीब, बेढब ढंग से टैम्पो चलाने वालो को, यातायात नियमों की पालना की हिदायत देकर यह जता दिया कि अब आटो चालकों की मनमानी नहीं चलेगी जिसका असर सुधरी हुई ट्रेफिक व्यवस्था और आटो चालकों में दिखाई दे रहा है।
कुलमिलाकर यह तो मानना पड़ेगा कि संतोष चालके के राज में, अगर अपराधो में कमी नहीं आई है तो सुखद यह है कि बढ़ोतरी भी नहीं हुई है! यह भी किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि जिले में घटित होने वाली अधिकतर वारदातों का खुलासा हो चुका है व जिनमे नहीं हुआ है उनमे होने की उम्मीद बाकि है! ऐसा नहीं है कि संतोष चालके का यह दबंग रूप श्रीगंगानगर में ही देखने में आया है! इससे पूर्व कि पोस्टिंग में कहा जाता है कि पदभार ग्रहण करते ही उनके एक वक्तव्य ''गोली का जवाब गोली'' ने अपराध जगत के सरगना, अवैध खनन व्यवसायियों, वाहन चोरों, लुटेरों की नींद हराम कर दी थी! अंत में लब्बोलुआब यह है कि यदि प्रशासक सख्त हो तो नियम कानून तोडऩे वालों के हौसले खुद-ब-खुद पस्त हो जाते हैं। किसी अधिकारी की सोच एवं लगन तथा मेहनत काफी हद तक सरकार एवं प्रशासन की छवि निखारने में अहम भूमिका अदा करती है।
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