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Sunday, May 8, 2011

ये हमारे मुल्क हमारी कौम हमारी आजादी का मामला है

साथियों
अन्ना हजारे इस वक़्त सभी पार्टियों के नेताओ के निशाने पर है जिस तरह सभी दलदलो के नेताओ ने आम राय होकर इन्हें निशाने पर लिया है वो काबिले गौर बात है हमारे नेता कभी भी किसी मसले पर एक जुट नहीं होते है लेकिन अन्ना का मामला इसके उलट है जो एकता इन्होने यहाँ दिखाई है वो लुप्त हो गयी था पिछले काफी सालो से!
आखिर ऐसा कैसे हो गया ये एकजुट हो गए
इसका कारण है इन्होने राजनीती को धंदा बना रखा हैएऔर अन्ना इसी धंदे के खिलाफ बोले इन नेताओ के बिलबिलाने एकजुट होने का यही कारण है इनकी दुकानदारी पर संकट आ रहा था!
सवाल सिर्फ अन्ना पर नहीं है बल्कि उन नोजवानो पर भी है जो अन्ना के पक्ष में लामबंद हुए थे!
देश का कोई भी नेता नहीं चाहता की युवा राजनीती में भागीदारी करे और उनकी यही मुहिम है की कैसे भी इस गठजोड़ को तोडा जाये!
लेकिन आज का युवा इन दुरात्माओ के झांसे में नहीं आने वाला वो समझ चुका है इस चाल को!
युवाओ को आगे आना होगा और इन तथाकथित देशभक्त नेताओ से देश की बागडोर अपने हाथो में लेनी होगी नहीं तो ये भारत माता का आँचल भी नीलाम कर देंगे!
साथियों हमे अबिलम्ब एकजुट होना पड़ेगा क्योकि ये
हमारे मुल्क हमारी कौम हमारी आजादी का मामला है
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

आखिर हम किन लोगो के लिए लड़ रहे है?


साथियों
आखिर हम किन लोगो के लिए लड़ रहे है?
क्या उन लोगो के लिए जो वैचारिक रूप से ना सिर्फ विकलांग है,बल्कि मुर्दा भी है?
या उन २५% लोगो के लिए जो महंगी गाडियों में घुमते है,बड़े शोपिंग मोल में महंगे उत्पाद खरीदते है,बड़े बड़े बंगलो में रहते है?
या उन २०% लोगो के लिए जिनके पास देश की कुल जमा पूँजी का ८०% हिस्सा है ?
आखिर वे लोग कौन है जिनके लिए हम लड़ रहे है?
क्या ये वो लोग ७५% लोग है जो दिन भर हाड तोड़ मेहनत करते है,खेतो में काम करते है,फिर भी दो वक़्त की रोटी नहीं जुटा पाते?
आखिर वे सब कौन है?
क्या हमारी लड़ाई से सिर्फ हमे ही फायदा है,उन लोगो को नहीं है जो बिस्तर पर पड़े पड़े क्रान्तिया लाते रहते है?
आखिर हम ऐसे लोगो के लिए क्यों लड़े जिनमे आकाश छूने की कोई आकांशा नहीं है जो कटोरी में भरे पानी में तारो का अक्श देख कर चाँद तोड़ लेन की बाते करते है?
ऐसी जवानी पर लानत है जिसमे विद्रोह नहीं,वक़्त की मांग है खड़े खड़े तमाशबीन ना बने!
बिना संघर्ष के आज़ादी निखरती नहीं है,जो कौम जितनी लड़ाकू होगी वो उतना ही निखरेगी,और ये संघर्ष किसी व्यक्ति,देश समाज के नहीं बल्कि शोषण करने वाले शासको के विरुद्ध शोषित के हक में करना है!
सोचना है तो बड़े लक्ष्यों के बारे में सोचो,जैसा हम सोचेंगे वैसा ही पाएंगे,जैसा हम पाएंगे आखिर
वैसे ही हो जायेंगे,क्योकि हमे वैसा ही हो जाना होता है,जो हम होना चाहते है!
इस देश में गरीब के उत्थान के लिए जितनी योजनाये बनी है उतनी तो दुनिया के किसी हिस्से में नहीं बनी,फिर भी ना जाने क्यों गरीबो का उद्धार होता नहीं होता?
होता भी है तो बिचोलियों,दलालों का नेताओ का,सरकारी अधिकारियो का हैसियत के हिसाब से होता है..................
हमारे मुल्क की हुकूमत ने गरीबो को भी नीले,पीले,हरे,लाल कार्ड के रूप में बाट दिया है!
है तो ये सब के सब गरीब ही फिर क्यों इनके राशन कार्ड के रंग अलग अलग है!
शयद अंग्रेजो की बची हुई संतानों की संतानों ने अंग्रेजो की फूट डालो राज़ करो की नीति पर अम्ल कर लिया है,तभी तो गरीब इतने रंग के हो गए है!
हम जब तक एक नहीं होंगे,जरुरत के वक़्त अपने साथी का साथ नहीं देंगे तब तक किसी बदलाब या युवा क्रांति की उम्मीद ना रखे!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

जब से सड़क पर तमाशा दिखने वाले मदारियों पर प्रतिबंध लगा है

साथियों
जब से सड़क पर तमाशा दिखने वाले मदारियों पर प्रतिबंध लगा है,बेरोजगार भूखे बन्दर(कलमाड़ी,राजा) राजनीति में आ गए है!
और उनका दावा है की उनकी नीतिया पारदर्शी है!लेकिन कुछ सिरफिरे लोग उन्हें नंगा कहते है!
साथियों खादी(कपड़ो)में क्या रखा है दाग लगने का डर रहता है!
वैसे हमे(आम भारतीयों)को क्या फर्क पड़ता है बन्दर रहे या सियार,लेकिन कम से कम ये दोमुहे सापो(शेख अब्दुल्ला,याशिन मालिक)जैसो से तो बेहतर है!
इनकी देखा देखी मेंढक(अमर सिंह) भी राजनीति में आ गए है,जब टर्राना शुरू करते है तो झींगुर(दिग्विजय सिंह,कपिल सिब्बल )को भी पीछे छोड़ देते है!
अभी बंदरो के मदारियों(मनमोहन सिंह)की वार्ता हुई थी भूखे भेडियो मानवता के दुश्मनों कश्मीर वाले मदारी जी के साथ!
कश्मीर वाले मदारी का कहना था की आप अपने शेर(फौजी)यहाँ से हटा ले इनसे हमारे भूखे भेडियो को जान का खतरा है,और जिन्हें फिर भी यहाँ रखा जाये उन शेरो के नाख़ून काट दिए जाये दांत घिस दिए जाये,गले में सांकल बाँध दी जाये ताकि हमारे प्रिय जानवरों को कोई नुक्सान ना हो,क्योकि हमने बड़ी मुस्किल से इन्हें पड़ोस (पाकिस्तान)से दूध ले ले कर पाला है,आपके शेरो से इनकी पन्नाधाय(हाफिज) को एलर्जी है!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

भला हो आर्मी का जो हमे बचा लेती है,ये नेता तो हमारा फातिहा पढवाने में कोई कोर कसर अपनी तरफ से नहीं छोड़ते!


साथियों
कभी सोचा है अन्ना हजारे कहा लुप्त हो गए,आज कल नज़र नहीं आते?
इसका कारण है पैसा,उनके नाम पर जितना मीडिया कमा सकता था कमा लिया,अब वो आउट ऑफ़ डेट हो गए है,उनसे कमाई नहीं हो सकती,इसी लिए वो हाशिये पर धकेल दिए गए है!
मीडिया को रोज़ नए नायक की जरुरत होती है भले ही वो दिग्गी जैसे लोग हो या ओसामा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता!
फर्क सिर्फ कम होती टी.आर.पी से पड़ता है!
रोज़ पाकिस्तान हमे ललकारता है,सीमा पर गोली बारी करता है,लेकिन हम चुप रहते है पता है क्यों?
भारतीय राजनीती के शिखर पर ठंडा गोश्त(मनमोहन सिंह) काबिज है जिसमे गर्मी आने की गुंजाईश ना के बराबर है!
साथियों इस गन्दी राजनीती में गरम खून(युवा) जब तक झाड़ू लेकर नहीं उतरेगा तब तक इन देशद्रोही मकड़ियो से निजात पाना नामुनकिन है!
दिग्विजय एक टेप रेकॉर्डर है जो बो बोलता है,वो वो नहीं बोलता,उसके अन्दर लगी कैसेट बोलती है जो १० जनपथ देहली से डव की जाती है!
अमेरिका ने कहा है की वो सीमा पार करके आतंकवादियों को मारने की किसी भारतीय कार्यवाही का समर्थन नहीं करेगा!
बड़े दुःख की बात है पंडित जी खुद तो बैंगन खाए दूसरो को परहेज की नसीहत दे!
साथियों
हम क्या बोर्डर पार करेंगे?
हमने तो जब भी नहीं किया जब पाकिस्तानी कुत्ते हमारी सीमा में घुस कर हमरे पिछवाड़े पर गोली मार गए कारगिल में!
हमने तो तब भी नहीं किया जब मुंबई में आकर हमारी ही जमीन पर खड़े होकर हमारे ही मुह में मूत गए,अब क्या करेंगे!
भला हो आर्मी का जो हमे बचा लेती है,ये नेता तो हमारा फातिहा पढवाने में कोई कोर कसर अपनी तरफ से नहीं छोड़ते!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

अल कायदा के उत्तराधिकारी की खोज ख़तम हो गयी है!


साथियों
पाकिस्तान से सूचना आ रही है की अल कायदा के उत्तराधिकारी की खोज ख़तम हो गयी है!
जब से अल कायदा के उतराधिकारी की खोज शुरू की थी तभी से दुनिया भर के आतंवादियों में इस पद को पाने की होड़ लग गयी थी!
गाजी बाबा ने तो नरक से भी आवेदन भेजा था,लेकिन वो ख़ारिज हो गया!
भारत की तरफ से दिग्गी लादेन और कपिल सिब्बल जवाहरी दावेदार थे!
आतंकवादी जगत में किसी ने भी इनकी दावेदारी को गंभीरता से नहीं लिया था,लेकिन हैरानी की बात है,दिग्गी लादेन सभी को पछाड़ते हुए शीर्ष पद पर काबिज हुए!
अंतिम दौर में दिग्गी लादेन का महा मुकाबला अल जवाहिरी से था!
इस महा मुकाबले में बम के द्वारा अधिक से अधिक लोगो को नुक्सान पहुचाने का प्रदर्शन करना था!
लेकिन दिग्गी लादेन ने बिना किसी बम के अपनी जुबान से ही १ अरब २५ करोड़ लोगो को नुक्सान पंहुचा कर ये साबित कर दिया की उनकी जुबान का मुकाबला परमाणु बम भी नहीं कर सकता!
कपिल सिब्बल जवाहरी ने इस जीत पर बधाई देते हुए कहा है की उन्हें तो आवेदन करते वक़्त ही पता था,दिग्गी लादेन ही जीतेंगे,उनकी गन्दी,बदबूदार जुबान का मुकाबला आतंवादियों का भी बम,दुनिया का कोई भी रासायनिक हथियार नहीं कर सकता!
सोनिया गाँधी ने इटालियन हिंदी में रास्ट्र को संबोधित करते हुए, इसे कट्टरपंथियों पर धर्मनिरपेक्षता की जीत बताया है!
दूसरी तरफ युवा तुर्क मिस्टर राहुल ने इसे देश के युवाओ की जीत बताया है!
लेकिन मायावती ने अम्बेडकर पार्क में सभा करके इस जीत का विरोध किया है और कहा है कांग्रेस दलित विरोधी है,उसने किसी दलित का नाम नहीं भेजा!
मौलाना मुलायम सिंह ने दिग्गी लादेन के चुने जाने की आलोचना की है और कहा है की कांग्रेस ने षडयंत्र पूर्वक रजा के माध्यम से रुपये खिला कर अल कायदा की कमेटी के निर्णय को प्रभावित किया है,और राडिया के जरिये गिलानी के विरुद्ध लॉबिंग की है,और मुस्लिम हितो को नुक्सान पहुचाया है!
करूणानिधि कुछ भी कहने के लिए उपलव्ध नहीं थे,क्योकि वह अपनी बेटी के साथ कोर्ट में थे!
आडवानी ने जिन्ना विवाद के बाद कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है!
और आम जनता कुछ कहने की स्थिति में नहीं है जबसे उसने ये खबर सुनी है वो कौमा में है!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह