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Sunday, May 8, 2011

आखिर हम किन लोगो के लिए लड़ रहे है?


साथियों
आखिर हम किन लोगो के लिए लड़ रहे है?
क्या उन लोगो के लिए जो वैचारिक रूप से ना सिर्फ विकलांग है,बल्कि मुर्दा भी है?
या उन २५% लोगो के लिए जो महंगी गाडियों में घुमते है,बड़े शोपिंग मोल में महंगे उत्पाद खरीदते है,बड़े बड़े बंगलो में रहते है?
या उन २०% लोगो के लिए जिनके पास देश की कुल जमा पूँजी का ८०% हिस्सा है ?
आखिर वे लोग कौन है जिनके लिए हम लड़ रहे है?
क्या ये वो लोग ७५% लोग है जो दिन भर हाड तोड़ मेहनत करते है,खेतो में काम करते है,फिर भी दो वक़्त की रोटी नहीं जुटा पाते?
आखिर वे सब कौन है?
क्या हमारी लड़ाई से सिर्फ हमे ही फायदा है,उन लोगो को नहीं है जो बिस्तर पर पड़े पड़े क्रान्तिया लाते रहते है?
आखिर हम ऐसे लोगो के लिए क्यों लड़े जिनमे आकाश छूने की कोई आकांशा नहीं है जो कटोरी में भरे पानी में तारो का अक्श देख कर चाँद तोड़ लेन की बाते करते है?
ऐसी जवानी पर लानत है जिसमे विद्रोह नहीं,वक़्त की मांग है खड़े खड़े तमाशबीन ना बने!
बिना संघर्ष के आज़ादी निखरती नहीं है,जो कौम जितनी लड़ाकू होगी वो उतना ही निखरेगी,और ये संघर्ष किसी व्यक्ति,देश समाज के नहीं बल्कि शोषण करने वाले शासको के विरुद्ध शोषित के हक में करना है!
सोचना है तो बड़े लक्ष्यों के बारे में सोचो,जैसा हम सोचेंगे वैसा ही पाएंगे,जैसा हम पाएंगे आखिर
वैसे ही हो जायेंगे,क्योकि हमे वैसा ही हो जाना होता है,जो हम होना चाहते है!
इस देश में गरीब के उत्थान के लिए जितनी योजनाये बनी है उतनी तो दुनिया के किसी हिस्से में नहीं बनी,फिर भी ना जाने क्यों गरीबो का उद्धार होता नहीं होता?
होता भी है तो बिचोलियों,दलालों का नेताओ का,सरकारी अधिकारियो का हैसियत के हिसाब से होता है..................
हमारे मुल्क की हुकूमत ने गरीबो को भी नीले,पीले,हरे,लाल कार्ड के रूप में बाट दिया है!
है तो ये सब के सब गरीब ही फिर क्यों इनके राशन कार्ड के रंग अलग अलग है!
शयद अंग्रेजो की बची हुई संतानों की संतानों ने अंग्रेजो की फूट डालो राज़ करो की नीति पर अम्ल कर लिया है,तभी तो गरीब इतने रंग के हो गए है!
हम जब तक एक नहीं होंगे,जरुरत के वक़्त अपने साथी का साथ नहीं देंगे तब तक किसी बदलाब या युवा क्रांति की उम्मीद ना रखे!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

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