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Friday, March 4, 2011




क्या कोई इस तस्वीर को लगातार दो मिनट देख सकता है? ये एक बांगलादेशी अध्यापक कि तस्वीर है, जिसके सर पर बम फोडा गया है! इसका अपराध सिर्फ ये था कि वोह एक हिंदू था, और उसने इस्लाम अपनाने से मना कर दिया था! ऐसे कई किस्से बांगलादेश में रोजाना होते है, वहां के १८% हिन्दुओ के पास केवल ३ रास्ते है, इस्लाम काबुल करो, देश छोड दो या दुनिया छोड दो........ बस्स!!!!
Photos from प्रत्यंचा : सनातन संस्कृति के साथ विकास की ओर____Rudra sharma

साथियों ये खबर पढ़ कर मेरे मुझे अपने अन्दर भरे धरमनिरपेक्षता रुपी विचार खोखले,और कमजोर लगने और पड़ने लगे है,इनकी हालत उस जड़ से आधे उखड़े पेड़ की तरह हो गयी जिसे अगर मेरे मुसलमान भाइयो ने सहारा नहीं दिया या आगे आ कर उन कुकर्मियो की निंदा नहीं की तो गिर जायेगा!धरमनिरपेक्षता को बचाने के लिए असफाक उल्ला की तरह आगे आओ,और निंदा करो,चुप मत रहो!धरमनिरपेक्षता को बचाना मेरे अकेले के बस का नहीं है तुम्हारा साथ बहूत जरुरी है.....!
लेकिन इस के साथ मै इंडिया,और बंगलादेश की सरकार से सवाल करता हूँ,की क्या उसे हिन्दुओ और गैर इस्लामिक लोगो के हालात दिखाई नहीं देते,अगर नहीं दीखते तो डूव कर मर जाओ,पर चुल्लू भर पानी में मत डूवना क्योकि वो किसी के पीने के काम आयेगा,तुम सरकारी सुलभ सोंचाल्य में डूवना,यही बेहतर होगा देश की अखंडता और एकता के लिए!
बंगलादेसी हुक्मरानों और उसके पिट्ठू कठ्मुल्लाओ तुम्हारा जनम हमारे ही हाथो हुआ है,और हमें पता है तुम्हारी पतलून में कितनी बड़ी बन्दूक है,कभी तोप की सीध में मत आ जाना....!
तुम नाली में बिजबिजाते कीड़े के शरीर में पड़े कीड़े से भी गए गुजरे हो जो उस निहत्थे मास्टर पर अपनी मर्दानगी दिखाते हो,कमीनो तुम्हारी मर्दानगी पाकिस्तानियो के आगे कहा चली गयी थी जो अपना पिछवाडा लिए हमारे पास आये थे,बोर्डर पर क्या तुम कटा सूअर खा कर आते हो या महाकाल के रोद्र रूप को देख कर तुम्हे दस्त लग जाते है जो भाग जाते हो बोर्डर खुला छोड़ कर..!
तुम्हारी मर्दानगी हमने देखी थी जब तुमने धोखे से हमारे जवानों को मारा था,फिर पलट कर हमारे जवानों ने जवाब दिया तो तुम अपनी मम्मी खालिदा जिया के लहंगे में जा कर छुप गए थे याद है ना,तुम्हारी मम्मी फिर हमारे बहादुर शाह जफ़र सरीखे अटल बिहारी जी के पास आई थी,शिकायत करने...!
और बंगाल्देशी हिन्दुओ लानत है तुम पर,जो तुम रोज़ रोज़ अपनी बहेन,बेटियों की इज्ज़त दाव पर लगाते हो,याद करो दिलीप सिंह,गुरु तेग बहादुर,रना परताप,रना संग,पृथ्वी राज चौहान,और उन १२० जवानों को जिन्होंने २००० पाकिस्तानी पेटेंट टंक में बैठे सुअरों को धुल चटाई थी,लड़कर मरोगे तो सहीद कहलाओगे.हथियार उठाओ बुद्ध नहीं महाकाल शिव बनो,बम का मुकाबला बम से,बन्दूक का मुकाबला बन्दूक से करो,ऐसे कीड़े की तरह जिंदा रह भी गए तो क्या फायदा,ये नहीं कर सकते तो नसबंदी करवा लो ताकि आने वाली पीढ़ी तुम्हारी नपुंसकता के बारे में ना जान पाए....
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

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