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Friday, March 4, 2011




देश में कलमघिस्सुओ की कोई कमी नहीं है जो अपने फायदे के लिए अपनी कलम घिसते है खबर को सरकारी जामा पहनाने के लिए,इसके साथ साथ नीली स्याही को बदरंग कर देते है!
साथियों देश में ऐसे कलमकार बहूत कम बचे है जो अपने भीतर का आक्रोश और खून कलम में भर कर निष्पक्ष होकर लिखते है,और ये बड़ा दुर्भाग्य है ऐसे कलमकारों को कभी दाद नहीं मिलती,सिर्फ खाज मिलती है!
खाज वाले कुत्तो से,और ये खाज वाले कुत्ते दिन भर हाथी और शेर पर लगातार भोकते रहते है!
इससे हाथी और शेर पर फर्क तो कोई नहीं पड़ता परन्तु धव्निपरदुषण तो होता ही है ना?
हमें कुत्ते का मुह तीरों से भरना आता है....
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

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