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Tuesday, February 15, 2011

आज का युवा न बैल है ना भैस



समाज कभी स्थिर नहीं रहता उसमे कुछ ना कुछ परिवर्तन होता रहता है,जोकि लगातार निरंतर चलने वाली एक प्रकिर्या है,ये कोई चमत्कार या जादू नहीं है बिलकुल सरल प्रकिर्या है,जिस समाज में परिवर्तन नहीं होता वह मुर्दा है,सामाजिक मानसिक स्तर पर क्योकि मुर्दा सोच और मुर्दा जिस्म ही हरकत नहीं करते!
भारत में लगातार परिवर्तन हो रहा है जोकि इस बात का गवाह है भारत का आवाम जीवंत है और निरंतर प्रगतिशील है जिस युवा क्रांति की हम बात करते है वो कोई अचानक आने वाली नहीं थी उसकी प्रस्ठभूमि १९३१ में तैयार हुई थी बस अब वक़्त आ गया है उसके आने का,ये तो हमे तय करना है हम नए का स्वागत करते है या आलोचना करते है!
आलोचना से हमारी कलम घबराती नहीं है, वो जवाब देना जानती है, अक्सर कुछ तथाकथित समाजबादी सुधारबादी इससमे रोड़े अटकाने की कोशिश करते है उन्हें ये बर्दास्त नहीं होता की कोई युवा उनका नेत्र्त्ब करे,वो अपना सारा समय इसी उधेड़बुन में ख़राब करने में लगे रहते है की कैसे युवा को नीचा दिखाया जाये,अपमानित किया जाये,आज का युवा इन तथाकथित नतिक्ताबादी रहनुमाओ को आगाह करता है की वो चाहे कितना जोर लगा ले आज का युवा रुकने वाला नहीं!
वो तो परवाना है जलना जानता है, जलने के डर से उड़ना नहीं छोड़ता,भैंस जब पोखर में बैठती है तो पानी में तरंगे उठती है और वो उन तरंगो को सुनामी समझ लेती है ये उसकी गलती नहीं है उसके पूर्वजो ने उससे मूक भाषा में यही समझाया था वो तो उसका अनुसरण कर रही होती है...
आज का युवा न बैल है ना भैस,लेकिन कुछ तथाकथित स्वयाम्संभु सुधारबादी रहनुमा लगातार युवाओ को सुनियोजित तरीके से निशाना बना रहे है,और युवाक्रान्ति जैसे गंभीर विषय को कूपमंडूक का विशवदर्शन समझ रहे है,उन्हें आज का युवा आगाह करता है,ज्वार समंदर में पत्थर फैकने से नहीं आता उसका रंगमंच तो बहूत पहले कही भीतर तैयार हो चूका होता है!
जब इस देश में अहिन्सबादी नपुंसक सोच का गांधीदर्शन आ सकता है है तो युवादर्शन क्यों नहीं? हमारा समाज लगातार परिवर्तनशील है जो की इस बात का गवाह है वो नए का स्वागत करना जानता है...
जय क्रांति जय हिंद
हेमू

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