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Sunday, February 27, 2011


जंगल में शेर और हाथी जब सैर पर निकलते है तो बहूत से कुत्ते और गीदड़ उन्हें मार्ग में मिलते है जो की भोक भोक कर उनके सव्र का इम्तिहान लेते है,लेकिन शेर और हाथी कभी पलट कर जवाब नहीं देते,अपनी राह चले जाते है!
लेकिन इस मुठभेड़ में कुत्तो और गीदड़ को कृतिम बहादूरी की गलतफहमी हो जाती है की शेर और हाथी डर गया,साथियों शेर और हाथियों की संख्या हमेशा कुत्तो और गिदडो से कम होती है,और इससे उनके राज़ पर कोई फर्क भी नहीं पड़ता...!
दोनों हे वक़्त आने पर सब कुछ रोंद देते है ,हमे भी किसी के मुह लग कर अपना वक़्त बर्बाद नहीं करना,रोंद कर आगे बढ़ना है,हाथी और शेर का काम नहीं है भोकना,अब वक़्त आ गया है पगड़ी संभालने का गंजे सिर ने बहूत राज़ कर लिया,अभी नीली स्याही से उम्मीद बची हुई है.लेकिन जिस दिन भी ये उम्मीद भी जाती रही तो देश की सत्ता पगड़ी के हाथ में लेने के लिए हमे वो हर काम करना होगा जो नातिक्तावादियो को गलत लगता है...!
क्योकि ये हमारे मुल्क हमारी आवाम हमारी कोम का मामला है!
जय क्रांति जय हिंद
हेमू सिंह

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