
रातो रात सिर्फ मौसम बदलते है विचारधाराए नहीं बदलती, और जो विचारधाराए रातो रात बदल जाती है वो कुटिल राजनीती होती है, देशभक्ति नहीं होती!
अक्सर एक गाँधी नामे का अनुत्रीत प्रशन बार आज का चुनोती के बार भूतकाल से उठकर बर्तमान में चला आता है.. होना तो यह चाहिए की इस सवाल को आज का युवा चुनोती के रूप में लेकर हल करे लेकिन वो कुछ कुतर्कियो के छलाबे में आकर इस सवाल को उठाने वाले व्यक्ति की निष्ठां पर ही सवाल उठा देता है!
गाँधी की कथनी और करनी में विरोधावास इससे बात से सावित होता है, जिस रामराज्य की कल्पना वो करते थे,उस रामकथा के महानायक भागवान राम ने रावण के वध के लिए अश्त्र उठाये थे जो की गाँधी की अहिंसावादी नीति के खिलाफ था,अगर ये मान भी लिया जाये गाँधी ने इस बात को नजरंदाज करके रामराज्य और रामकथा में से चुनिन्दा बाते हे जीवन में चुनी जो उन्हें अच्छी लगी तो उन्होंने भगत सिंह के बम्ब को नजरंदाज क्यों नहीं किया क्यों उनकी निष्पक्ष देशभक्ति की भावना का सम्मान नहीं किया,क्यों उन जैसे महान क्रांतिकारियों को उदंड बच्चा कह कर उनकी सहादत का मखोल उड़ाया?
अहिंसा एक नपुंसक सोच है जो जबरन देश पर थोपी जा रही है,कश्मीर,तिब्बत वारानाशी,मुंबई अटैक इसी सोच का नतीजा है हम अहिंसक शांति के दूत बने अपने घर में पिटते रहते है क्योकि हम सीमा पार नहीं करना चाहते इससे गाँधी के अहिंसावादी सिधांत का मजाक उड़ता है !
गाँधी के अहिंसावादी सिधांत के अनुसार भगवान् राम को लंका जा कर रावण के महल के आगे धरना देना चाहिए था और मांग करनी चाहिए थी की रावण अगर सीता माँ को नहीं छोड़ता पूर्ण स्वतन्त्रता नहीं भी देता तो कम से कम उनसे अशोक वाटिका में मिलने की आजादी दे,जब तक उसका हर्दय परिवर्तन पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए न हो
भूतकाल की बात अगर भूतो पर छोड़ दे वर्तमान की बात करे तो ताज होटल के बहार हमारे कमांडो को हाथ में फूल लेकर मौर्चा संभालना चाहिए थाय पाकिस्तान के बोर्डर पर इन आतकवादियो के खिलाफ धरने पर बैठना चाहिए था,हमारे कमांडो ने देश के खातिर हतियार उठाकर क्या गंधिनीति का अपमान किया है,अगर सही किया है तो भगत सिंग ने काया गलत किया था?
जो व्यक्ति अपना घर न संभाल सका हो उससे आपने अपना देश शोंप दिया दिया है अब जो हो रहा है उसके लिए रोने से क्या फायदा!
दस आतंकवादी हमारे घर में घुस कर हमें मरते है,और हम अमरीका के पास जाकर दुहाई देते है. लानत है ऐसी मर्दानगी
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